Wednesday 20 April 2016

पाकिस्तान बनने की नीव - मेरी कही भाग तीन

पाकिस्तान बनने की नीव - मेरी कही भाग तीन
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पिछले अंक में आपने पढ़ा की किस तरह कांग्रेस ने MMCP संगठन की मदद से मुस्लिम लीग पर आक्रामक रूख अपनाया और अपने समाजवादी एजेंडे के सहारे मुस्लिम समुदाय को कांग्रेस में शामिल होने का आमंत्रण दिया। इस भाग में मुस्लिम लीग का कांग्रेस को जवाब :
कांग्रेस के तीखे प्रहारों से चिंतित सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा लिखने वाले शायर मोहम्मद इकबाल ने जिन्नाह को चिट्ठी लिखी। इस चिट्ठी में उन्होंने जिन्नाह से अनुरोध किया की जिन्नाह भारत और भारत के बाहर पूरी दुनिया को साफ़ शब्दों में बताएं की हिंदुस्तान में मुस्लिम समुदाय एक अलग राजनैतिक यूनिट है। भारत के मुस्लिम की समस्या सिर्फ आर्थिक ही नहीं है , बल्कि आर्थिक समस्या से ज्यादा बड़ी समस्या इंडियन मुस्लिम के लिए उसकी पहचान है। कल्चरल प्राब्लम किसी भी आर्थिक समस्या से बड़ी है।
कांग्रेस ने अपने आफ़ेन्सिव में मुस्लिम लीग को जमींदारो और नवाबो की पार्टी साबित किया था। उसे आम जनता से दूर बताया था। कांग्रेस के अनुसार मुस्लिम लीग ब्रिटिश सरकार की साम्राज्य वादी नीतियों को बढ़ावा देने के लिए बनी थी।
इन आरोपों के जवाब में मुस्लिम लीग ने अपने अन्दर बहुत सुधार किये। सबसे पहले उसने अपना सविधान बनाया। उसे धार्मिक आधार के साथ सुधारवादी भी बनाया। मुस्लिम लीग ने अपने उद्देश्य में भारत की स्वतंत्रता को सबसे ऊपर रखा। और इसके लिए सभी कानूनी और लोकतान्त्रिक रास्ते अपनाने की वकालत की। मुस्लिम लीग ने पूरे भारत में मेंबर भर्ती के लिए दो आना प्रोग्राम चलाया। जिला और तहसील स्तर पर तमाम कमेटियां गठित करके पार्टी के स्वरुप को लोगों की भागीदारी के लिए अनुकूल बनाया।
MMCP के अशरफ साहब के लेखों के जवाब देने के लिए मुस्लिम लीग ने महमूदाबाद के राजा को अधिकृत किया। राजा महमूदाबाद ने MMCP के प्रोपेगेंडे को दरकिनार करते हुए इस्लाम को आधुनिक समाज की समस्त परेशानियों का आदर्श हल बताया। उन्होंने कांग्रेस के समाजवाद के मुकाबले इस्लाम द्वारा दिखाए समाजवाद को बेहतर बताया। उन्होंने कहा की इस्लाम में सभी मुस्लिम आपस में भाई हैं फिर भले कोई गोरा हो , काला हो , किसी जाति का हो , अमीर या गरीब हो , अफ्रीकन , अरब या हिन्दुस्तानी हो। सभी भाई हैं समान हैं। उन्होंने कई उदाहरण देते हुए कहा की खुद स्टालिन भी इस्लामिक समाजवाद के रास्ते पर ही चल रहा है। उन्होंने कहा की विश्व में समाजवाद का सन्देश देने वाले सर्वप्रथम खुद मोहम्मद साहब थे।
इसके अलावा मुस्लिम लीग ने ककी सामाजिक सुधारो की मांग की , मजदूरों के काम के घंटे निश्चित करने के लिए कहा , न्यूनतम मजदूरी निश्चित करने को कहा। स्वच्छ घरो की वकालत की। लघु उद्योगों की मदद करने की मांग की। कुल मिलाकर उन्होंने कांग्रेस के मुकाबले लीग को धार्मिक आधार से उठाकर राजनैतिक धरातल पर खड़ा किया।
लेकिन मुस्लिम लीग सिर्फ कांग्रेस को जवाब देने तक ही नहीं रुकी। लीग ने कांग्रेस सरकारों और उसकी नीतियों पर कड़ा हमला बोला। सबसे प्रमुख हमला खुद गाँधी जी की वर्धा शिक्षा योजना पर था।
तमाम देश में कांग्रेस की सरकार बन जाने के बाद गाँधी जी ने ग्रामीण बच्चो की शिक्षा के लिए एक अनूठी योजना दी थी। जिसे उन्होंने रूरल नेशनल एजुकेशन थ्रू विलेज हेंडीक्राफ्ट नाम दिया था। कांग्रेस ने जामिया के डॉ जाकिर हुसैन की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई जिसकी रिपोर्ट के आधार पर इसे लागू किया जाना था। जाकिर साहब ने ग्रामीण बच्चो के लिए सात सालों की शिक्षा निर्धारित की। और इसमें आठ विषय रखे।
गाँधी जी का जोर था की इस व्यवस्था में धार्मिक शिक्षा न हो बल्कि स्वरोजगार पर जोर हो। हेंडीक्राफ्ट के जरिये बच्चे कमा सकें और अपनी शिक्षा को खुद वहन करें। गाँधी जी ने तमाम शिक्षा को चरखे के जरिये सिखाने पर जोर दिया।
यूँ तो इस वर्धा स्कीम की बहुत से लोगों ने आलोचना कि. लेकिन सबसे तीखी आलोचना मुस्लिम लीग ने की। राजा पीरपुर कि कमिटी ने इस स्कीम की समीक्षा करके इसकी आलोचना तैयार की, इस आलोचना के मुख्य बिंदु :
1. मुस्लिम लीग का सबसे बड़ा आरोप था की कांग्रेस इस स्कीम के जरिये मुस्लिम बच्चो का ब्रेनवाश करना चाहती है. जिस प्रकार सोवियत संघ में कम्युनिस्ट सरकार ने शिक्षा व्यवस्था और प्रोपेगेंडा के जरिये तमाम धर्मो को ख़तम कर दिया, वैसे ही कांग्रेस मुस्लिम समुदाय की अलग पहचान को ख़तम करना चाहती है।
2. दूसरी प्रमुख आलोचना गाँधी के अहिंसा के सिद्धांत पर हुई। अहिंसा भी शिक्षा के मूल में थी। लीग ने कहा की कुछ अनिवार्य परिस्थितियों में जिहाद हर एक मुस्लिम का फर्ज है और अहिंसा इस फर्ज के खिलाफ है।
3. पीरपुर रिपोर्ट के अनुसार हिन्दू धर्म की दीक्षा सिर्फ ब्राह्मणों के लिए रिजर्व है लेकिन मुस्लिम समुदाय में ऐसा नहीं है। मुस्लिम समुदाय के लिए धर्म जीने का तरीका है। किसी भी सम्मानित परिवार के किसी भी बच्चे को ये योग्यता होनी चहिये की वो नमाज को लीड कर सके जिसके लिए शरिया का ज्ञान होना जरूरी है। पीरपुर रिपोर्ट ने नैतिक शिक्षा को धार्मिक शिक्षा के ऊपर रखे जाने का भी विरोध किया।
4. पीरपुर रिपोर्ट में इस बात की बड़ी तीखी निंदा हुई की इतिहास के सिलेबस में अमीर खुसरो, कबीर , अकबर , दारा शिकोह जैसे हिंदुत्व की तरह झुके लोगों पर ज्यादा जोर है बजाय उन मुस्लिम नायको के जिनका आउटलुक इस्लामिक था। पीरपुर कमिटी ने इस बात की भी तीखी भ्रत्सना की कि सिर्फ हिन्दू राजाओं जैसे हर्ष, पृथ्वी राज , शिवाजी , रंजित सिंह को ग्लोरी फाई किया गया है।
5. पीरपुर रिपोर्ट ने इस बात की तीखी निंदा की की इस स्कीम में बच्चो को मातृभूमि के लिए प्यार करना बताया गया है बजाय इसके की अपने धर्म से प्यार करो , जो की गैर इस्लामिक है।
6. इसी आधार पर संगीत और नृत्य को भी पाठ्यक्रम में रखने को गलत घोषित किया गया।
शिक्षा के बाद सबसे बड़ा मसला भाषा का था। सम्पूर्नानद UP में संस्कृत निष्ठ हिंदी लाना चाहते थे। कांग्रेस हिंदुस्तानी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा देना चाहती थी। लीग दोनों के ही खिलाफ थी। लीग उर्दू को राष्ट्रीय भाषा बनाने की पक्षधर थी। और इन सबके अलावा दो समस्या और भी थीं। एक तिरंगे झंडे की और दूसरी वन्दे मातरम की। लीग दोनों के ही सख्त खिलाफ थी।
मुस्लिम लीग ने जिन्नाह को महात्मा गाँधी के समकक्ष खड़ा करने एक लिए उन्हें कायदे आजम की उपाधि दी। जिनाह ने अंग्रेजो के प्रतीक सूट बूट को छोड़कर शेरवानी , पायजामा और टोपी धारण की।
तिरंगे के मुकाबले लीग अपना नया झन्डा लेकर आई जो उसके मुताबिक़ सदियों पुराना था और पैगम्बर साहब द्वारा दिया गया था।
और इन सब आलोचना का सम अप राजा महमूदाबाद ने ये कह कर दिया की जब कांग्रेस नारा लगाती है की दुनिया भर के मजदूरों एक हो तो कोई एतराज नहीं करता। लेकिन जब लीग कहती है की दुनिया भर के मुस्लिम एक हो , तो सबको समस्या होती है।
अगले अंक में, फिर क्या हुआ जब UP में बाई इलेक्शन हुए। किस पार्टी की जीत हुई ? इन तमाम प्रोपेगेंडे के बीच जनता ने किसकी सुनि. अगले अंक में

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